कहते है कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं होता कुछ इसीतरह चेन्नई के आर प्रज्ञाननंद ने मात्र 12 साल दस महीने और 14 दिन की उम्र में चेस ग्रैंडमास्टर का खिताब अपने नाम करते हुए दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बन गए। इससे पहले 1990 में यूकक्रेन के ग्रैंडमास्टर सर्गेई करजाकिन ने यह खिताब 12 साल और 7 महीने की उम्र में हासिल किया था।
ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञाननंद फोटो साभार (सोशल मीडिया ) |
प्रज्ञाननंद ने काफी अटैकिंग अंदाज में यह गेम खेला और शुरू बनी हुई बढ़त को पीछे नहीं जाने दिया। प्रज्ञाननंद से हार मानते हुए मोरोनी ने मैच बीच में ही सौंप दिया करजाकिन और प्रज्ञाननंद के अलावा, शतरंज के इतिहास में किसी ने भी 13 साल की उम्र से पहले प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल नहीं किया है।
प्रज्ञाननंद ने ओर्टिसी में ग्रेडिन ओपन प्रतियोगिता में इटली के ग्रैंडमास्टर लुका मोरोनी जूनियर को 8वें राउंड में हराया। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रज्ञाननंद ने काफी अटैकिंग अंदाज में यह गेम खेला और शुरू बनी हुई बढ़त को पीछे नहीं जाने दिया। प्रज्ञाननंद से हार मानते हुए मोरोनी ने मैच बीच में ही सौंप दिया।
इस टूर्नामेंट में प्रज्ञाननंद ने कई महत्वपूर्ण और बड़े मैच जीते। उन्होंने ईरानी खिलाड़ी आर्यन गोलामी और इटली के ग्रैंडमास्टर को परास्त किया। हालांकि सिर्फ इतने से ग्रैंडमास्टर का खिताब नहीं मिलता। प्रज्ञाननंद को अपने से 2482 रैंकिंग ऊपर के प्रतिद्विंदी से खेलना पड़ा। इस गेम को खेलते हुए जिस तरह से प्रज्ञाननंद ने अपनी पोजिशन कर रखी थी वह देखने लायक थी। कभी वह कुर्सी पर पैरों के बल खड़े हो जाता तो कभी घुटने मोड़कर बैठ जाता। लेकिन वह अपनी हर चाल बेखौफ और निडर होकर चल रहा था।शतरंज खेलने की प्रेरणा-
प्रज्ञाननंद को चेस खेलने की प्रेरणा बड़ी बहन वैशाली से मिली वह भी एक शतरंज खिलाड़ी है। वैशाली को शतरंज खेलते देख प्रज्ञाननंद इस खेल के प्रति आकर्षित हुआ। लेकिन उनके पिता रमेश बाबू डरते थे और नहीं चाहते थे कि उनका बेटा भी शतरंज खेले। क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी और शतरंज को एक महंगा खेल माना जाता है। दिलचस्प बात ये है कि करजाकिन और प्रज्ञाननंद के अलावा, शतरंज के इतिहास में किसी ने भी 13 साल की उम्र से पहले प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल नहीं किया है। प्रज्ञाननंद के कोच आर बी रमेश उन्हें प्यार से प्रग्गू बुलाते हैं। अपने प्रग्गू की इस कामयाबी से बेहद खुश कोच रमेश कहते हैं कि वे बहुत प्रतिभाशाली हैं और आने वाले दिनों में भी कई कीर्तिमान स्थापित करेंगे।प्रजाननंद के लिए विश्वनाथन आनंद द्वारा ट्वीट |
प्रज्ञाननंद भारत के सबसे युवा ग्रैंड मास्टर हैं। विश्वनाथन आनंद जब पहली बार ग्रैंड मास्टर बने थे तब उनकी उम्र 18 साल थी। विश्वनाथन आनंद ने भी ट्वीट कर प्रज्ञाननंद को बधाई दी।
प्रज्ञाननंद ने 11 साल में दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज ग्रांड मास्टर अलेक्स बचमान को महज 18 चालों में पराजित कर विश्व शतरंज में तहलका मचा दिया था,उस समय प्रसिद्ध शतरंज लेखक लियोनार्ड बार्डेन ने इंगलिश चैस फोरम में लिखा था की, ''भारत के 11 साल के दुनिया के अभी तक के सबसे युवा इंटरनेशनल मास्टर जिनका नाम का उच्चारण कर पाना संभव नहीं है, ने इस दोपहर मात्र 18 चाल में 2645 रेटेड ग्रांड मास्टर को हरा दिया। यह खेल पूरी दुनिया में फैलेगा और फिशर के सदी के महान मैच से इसकी तुलना की जाएगी।''
जो मंजिलो को पाने की चाहत रखते है वो समंदरों पर भी पत्थरो के पुल बना देते है।
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