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बेहतरीन अदाकारा माला सिन्हा जिन्हे कभी भद्दी नाक वाली कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था

बॉलीवुड में माला सिन्हा उन गिनी चुनी चंद अभिनेत्रियों में शुमार की जाती हैं जिनमें खूबसूरती के साथ बेहतरीन अभिनय का भी संगम देखने को मिलता है। खूबसूरत और बड़े-बड़े कजरारे नैनों वाली बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा की अभिनय प्रतिभा ने हर किसी को अपना दीवाना बना लिया।

माला सिन्हा
फोटो साभार: सोशल मीडिया
एक बार माला किसी प्रोड्यूसर के पास पहुंची तो उन्होंने कहा, इस भद्दी नाक के साथ तुम हीरोइन बनने के बारे में सोच भी कैसे सकती हो। पहले अपना चेहरा शीशे में देख लो। माला इस बात को कभी भुला नहीं पाईं। इस उद्वेगाग्नि में उन्होंने दोगुनी मेहनत से काम करना शुरू कर दिया और साबित कर दिया कि फिल्मों में एक अभिनेत्री का रोल केवल उसकी सुंदरता से नहीं बल्कि अभियन और सादगी के बल पर मिलता है।

माला सिन्हा जिन्होंने अपने हुनर के बल पर लोगो के दिलो पर राज किया सन् 1950 से 1960 के दशक की इस अभिनेत्री से कोई मिले तो बातचीत में वह आज भी उसे वही ताजगी का अहसास कराती हैं और मन मोह लेती हैं। आज की नई अभिनेत्रियां उनसे काफी कुछ सीखकर अभिनय के क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं। 

माला सिन्हा का जन्म -

माला का जन्म 11 नवंबर, 1936 को कलकत्ता के एक इसाई परिवार में हुआ। उनके माता-पिता मूल रूप से नेपाल के रहने वाले थे। माला के जन्म से पहले ही वे कलकत्ता आकर बस गए। बचपन में माला का नाम आलडा रख गया था, लेकिन उनकी सहेलियां व दोस्त उन्हें डालडा (वनस्पति तेल का एक ब्रांड) कहकर चिढ़ाते थे। बेटी को परेशान देख माता-पिता ने नाम बदलकर माला रख दिया। माला सिन्हा को बचपन से ही गीत और नृत्य में बड़ी दिलचस्पी थी।

माला सिन्हा ऑल इंडिया रेडियो यानी आकाशवाणी की अनुमोदित गायिका भी रह चुकी हैं। बचपन में ही गाने और नाचने में दिलचस्पी पैदा हो गई, फिर इसकी तालीम भी शुरू कर दी। ऑल इंडिया रेडियो के गायकी के पैनल में शामिल रही हैं।

जब वह महज सोलह साल की थीं, तो उन्हीं दिनों आकाशवाणी के कलकत्ता (अब कोलकाता) केंद्र के स्टूडियो में लोकगीत गाया करती थीं। उन्होंने भले ही फिल्मों के लिए गीत न गाए हों, लेकिन 1947 से 1975 तक कई भाषाओं में मंच पर गायन किया। कुछ समय बाद माला ने सिंगिंग छोड़ एक्टिंग में हाथ आजमाना चाहा । इसलिए वह एक प्रोड्यूसर से मिलने गई थीं। माला प्रोड्यूसर के पास पहुंची तो उन्होंने कहा, इस भद्दी नाक के साथ तुम हीरोइन बनने के बारे में सोच भी कैसे सकती हो। पहले अपना चेहरा शीशे में देख लो। माला इस बात को कभी भुला नहीं पाईं। उन्होंने दोगुनी मेहनत से काम करना शुरू कर दिया और साबित कर दिया कि फिल्मों में एक अभिनेत्री का रोल केवल उसकी सुंदरता से नहीं बल्कि अभियन और सादगी के बल पर मिलता है।

माला सिन्हा
बेहतरीन अदाकारा माला सिन्हा 
माला सिन्हा ने अपने करियर की शुरुआत एक बांग्ला फिल्म 'जय वैष्णो देवी' में एक बाल कलाकार के रूप में की थी। इसके बाद वह एक के बाद एक कई फिल्मों में अपनी अदाओं से दर्शकों को मोहती रहीं और नए कीर्तिमान स्थापित किए। स्कूल के एक नाटक में माला सिन्हा के अभिनय को देखकर बंगला फिल्मों के जाने-माने निर्देशक अर्धेन्दु बोस उनसे काफी प्रभावित हुए और उनसे अपनी फिल्म रोशनआरा में काम करने की पेशकश की। उस दौरान माला सिन्हा ने कई बंगला फिल्मों में काम किया।

माला सिन्हा के अभिनय का सितारा निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त की 1957 में प्रदर्शित क्लासिक फिल्म प्यासा से चमका। इस फिल्म की कामयाबी ने माला सिन्हा को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया।

माला ने केदार शर्मा की फिल्म रंगीन रातें में काम किया। 1954 में प्रदीप कुमार के साथ बादशाह और हैमलेट जैसी फिल्मों में काम करने का मौका मिला लेकिन दुर्भाग्य से उनकी दोनों फिल्में विफल रही । 1957 में निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त की फिल्म प्यासा से माला सिन्हा के सपनो को नयी उड़ान मिली । 1966 में माला सिन्हा को नेपाली फिल्म माटीघर में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म के निर्माण के दौरान उनकी मुलाकात फिल्म के अभिनेता सीपी लोहानी से हुई। फिल्म में काम करने के दौरान माला सिन्हा को उनसे प्रेम हो गया और बाद में दोनों ने शादी कर ली। माला सिन्हा ने 100 से अधिक फिल्मों में काम किया है।

माला बड़ी अभिनेत्री बनीं, लेकिन किसी को उनमें जरा भी घमंड नहीं दिखा। आज भी वह सादगी भरा जीवन व्यतीत करती हैं। माला सिन्हा अपने बड़े-बड़े कजरारे नैनों और खूबसूरती से लोगो के दिलो में हमेशा राज करेंगी।

वो कहने लगी नकाब में भी पहचान लेते हो… हजारों के बीच… मेंने मुस्करा के कहा तेरी आँखों से ही शुरू हुआ था “इश्क” हज़ारों के बीच…

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