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विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति और अमेजन डॉट कॉम के संस्थापक:जेफ बेज़ोस

अमेजन डॉट कॉम के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेफ बेज़ोस ऐसी शख्सियत है जिनकी अकेले की इनकम भारत के कुल 6 करोड़ लोगों के बराबर है।फोर्ब्स मैगजीन से जारी किए गए अनुमान के मुताबिक अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस ने माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स को पछाड़कर दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति का खिताब हासिल कर लिया। उनकी कुल संपत्ति देखी जाए तो बिल गेट्स की 90.7 बिलियन डॉलर की प्रॉपर्टी के मुकाबले 90.9 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई।   जेफ बेज़ोस फोटो साभार (सोशल मीडिया) जेफ बेज़ोस ने अमेजन डॉट कॉम कम्पनी का प्रारम्भ 1994 में अपने गैरेज से किया। अमेज़न के साथ अपने कार्य के दम पर वे एक प्रमुख डॉट-कॉम उद्यमी और अरबपति बन गए।1999 के समय में टाइम्स पत्रिका ने वर्ष के विशेष व्यक्ति के नाम से सम्मानित किया। दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेलर कंपनी अमेज़न की स्थापना करने से पहले जेफ बेज़ोस ने डी. ई. शॉ और कम्पनी के लिए वित्तीय विश्लेषक का कार्य किया। 2004 में, उन्होंने ब्लू ओरिजिन नामक एक मानव स्पेस फ्लाईट नामक एक स्टार्टअप कंपनी की स्थापना की। बेज़ोस ने अमेजन सिर्फ ऑनलाइन किताबे बेचने के लिए बनाई
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रानी पद्मावती ने क्यों लिया अग्नि में प्राणाहुति देने का फैसला

भारतीय इतिहास के पन्नों में वीरांगना और साहसी रानीयों का उल्लेख है। जिनमे चित्तौड़ की रानी पद्मावती  का नाम भी शामिल है पद्मावती इतिहास की एक महान रानी के रूप में जानी जाती हैं। रानी पद्मिनी का उल्लेख सन 1540 में ‘मलिक मोहम्मद ज्यासी द्वारा लिखे गए महाकाव्य में पाया गया है।     रानी पद्मावती के किरदार में दीपिका पादुकोण फोटो साभार (सोशल मीडिया ) रानी पद्मावती के साहसी चरित्र और जीवन को वर्णित करती इसी साल निर्देशक 'संजय लीला भंसाली' की फिल्म 'पद्मावती' आई  इस फिल्म में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने रानी पद्मावती का किरदार निभाया। पद्मावती को पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता है, माना जाता है कि यह एक महान 13 वीं -14 वीं सदी की भारतीय रानी थी । उसके रूप और जौहर व्रत की कथा, मध्यकाल से लेकर वर्तमान काल तक चारणों, भाटों, कवियों, धर्मप्रचारकों और लोकगायकों द्वारा विविध रूपों एवं आशयों में व्यक्त हुई है। बाल्यकाल तथा आरम्भिक जीवन - रानी पद्मावती रानी पद्मावती के पिता सिंघल प्रांत (श्रीलंका) के राजा थे। उनका नाम गंधर्वसेन था। राजा गंधर्वसेन की सोलह ह

टाइगर ऑफ़ मद्रास ' विश्वनाथन आनंद '

'टाइगर ऑफ़ मद्रास' के नाम से प्रसिद्ध भारतीय शतरंज खिलाडी 'विश्वनाथन आनंद' जिन्होंने पांच बार विश्व शतरंज प्रतियोगिता में जीत हासिल की। 1988 में मात्र 18 साल की उम्र में ग्रांडमास्टर का ख़िताब जीता और भारत के सबसे माननीय पुरस्कार 'राजीव गांधी खेल रत्न' से सम्मानित किए गए।   विश्वनाथन आनंद फोटो साभार (सोशल मीडिया ) भारतीय शतरंज खिलाड़ी और पूर्व वर्ल्ड चेस चैंपियन विश्वनाथन आनंद 2000 से 2002 के बीच एफआईडीई वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप कराई। 2007 में वह विश्व चैंपियन बने और 2008 में भी अपना टाइटल रूस के व्लाडामीर क्राम्निक को हराकर बरकरार रखा। आनंद को पसंद करने वालों में उनके प्रतिद्वंदी गैरी कास्परोव और व्लाडामीर क्राम्निक भी शामिल हैं जिन्होंने उन्हें 2010 की वर्ल्ड चेस चैंम्पियनशीप की तैयारी में मदद की। आनंद को "टाइगर ऑफ मद्रास" भी कहा जाता है। आनंद अकेले ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें 7 नवंबर 2010 में  पीएम मनमोहन सिंह द्वारा यूएसए के प्रेसिडेंट बराक ओबामा के लिए दिए गए भोज में शामिल किया गया था। आनंद ने "माई बेस्ट गेम्स ऑफ़ चेस" नाम की पुस्तक

भारत का दूसरा सबसे युवा शतरंज ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञाननंद

कहते है कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं होता कुछ इसीतरह चेन्नई के आर प्रज्ञाननंद ने मात्र 12 साल दस महीने और 14 दिन की उम्र में चेस ग्रैंडमास्टर का खिताब अपने नाम करते हुए दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बन गए। इससे पहले 1990 में यूकक्रेन के ग्रैंडमास्टर सर्गेई करजाकिन ने यह खिताब 12 साल और 7 महीने की उम्र में हासिल किया था। ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञाननंद  फोटो साभार (सोशल मीडिया ) प्रज्ञाननंद ने काफी अटैकिंग अंदाज में यह गेम खेला और शुरू बनी हुई बढ़त को पीछे नहीं जाने दिया। प्रज्ञाननंद से हार मानते हुए मोरोनी ने मैच बीच में ही सौंप दिया करजाकिन और प्रज्ञाननंद के अलावा, शतरंज के इतिहास में किसी ने भी 13 साल की उम्र से पहले प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल नहीं किया है।  प्रज्ञाननंद ने ओर्टिसी में ग्रेडिन ओपन प्रतियोगिता में इटली के ग्रैंडमास्टर लुका मोरोनी जूनियर को 8वें राउंड में हराया। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रज्ञाननंद ने काफी अटैकिंग अंदाज में यह गेम खेला और शुरू बनी हुई बढ़त को पीछे नहीं जाने दिया। प्रज्ञाननंद से हार मानते हुए म

छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक प्रेम और आनन्द के कवि जयशंकर प्रसाद

आधुनिक हिन्दी साहित्य के युगप्रवर्तक लेखक जयशंकर प्रसाद को कविता करने की प्रेरणा अपने घर-मोहल्ले के विद्वानों की संगत से मिली। हिंदी साहित्य में प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे। कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास यानी रचना की सभी विधाओं में वह सिद्धहस्त थे। कवि के रूप में वे निराला, पन्त, महादेवी के साथ छायावाद के प्रमुख स्तंभ के रूप में प्रतिष्ठित हुए हैं। जयशंकर प्रसाद फोटो साभार (navbharattimes.indiatimes.com) 'चित्राधार' उनका पहला संग्रह है। उसका प्रथम संस्करण सन् 1918 में प्रकाशित हुआ। इसमें ब्रजभाषा और खड़ी बोली में कविता, कहानी, नाटक, निबन्धों का संकलन किया गया। वर्ष 1928 में इसका दूसरा संस्करण आया। हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में एक कवि-नाटककार-कहानीकार-उपन्यासकार तथा निबन्धकार जयशंकर प्रसाद है। 'लहर' मुक्तकों का संग्रह है। 'झरना' उनकी छायावादी कविताओं की कृति है। 'कानन कुसुम' में उन्होंने अनुभूति और अभिव्यक्ति की नयी दिशाएँ खोजने के प्रयत्न किए हैं। सन् 1909 में 'प्रेम पथिक' का ब्रजभाषा स्वरूप सबसे पहले 

सदी के महानायक प्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन

जब तक किसी कार्य को किया नहीं जाता वो असंभव लगता है उसी तरह 'सदी के महानायक' कहे जाने वाले बच्चन जी ने अपने अभिनय के हुनर से हर असंभव को संभव बनाया चाहे वो अभिनय हो गायकी हो या कौन बनेगा करोड़पति जैसे शो की होस्टिंग अपने सफल हुनर और कार्य से इन्हे भारत सरकार की तरफ से 1984 में पद्मश्री, 2001 में पद्मभूषण और 2015 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया । अमिताभ बच्चन (फोटो साभार :http://celebritiesgallery.in) हिन्दी फिल्मों के सबसे बड़े सुपरस्टार अमिताभ बच्चन अपनी दमदार और बेहतरीन आवाज से जाने जाते है । 70 और 80 के दौर में फिल्‍मी सीन्‍स में अमिताभ बच्‍चन का ही आधिपत्‍य था। इस वजह से फ्रेंच डायरेक्‍टर फ़्राँस्वा त्रुफ़ो ने उन्‍हें 'वन मैन इंडस्‍ट्री' तक करार दिया था। अमिताभ बच्चन 'सदी के महानायक' कहे जाते हैं। अमिताभ बच्चन ने अपने करियर के दौरान कई पुरस्‍कार जीते हैं जिसमें सर्वश्रेष्‍ठ अभिनेता के तौर पर 3 राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार भी शामिल है। इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल्‍स और कई अवार्ड समारोहों में उन्‍हें कई पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया गया है। व

दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड लता मंगेशकर की जिंदगी पर एक नजर

30,000 से अधिक गीत गाने का रिकार्ड बनाने वाली सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित भारत की सबसे लोकप्रिय, बेहतरीन और सम्मानित लता मंगेशकर भारत की सबसे अनमोल गायिका हैं। उनकी आवाज की दीवानी पूरी दुनिया है। इन्होने तक़रीबन 1000 से ज्यादा हिंदी फिल्मो के लिये गाने गाए है और तक़रीबन 36 देशी स्थानिक भाषाओ में भी गायन किया ।  लता मंगेशकर (फोटो साभार : http://celebritiesgallery.in) भारत सरकार द्वारा भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च अवार्ड दादासाहेब फालके अवार्ड उन्हें 1989 में देकर सम्मानित किया गया था। एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी के बाद वह दूसरी गायिका है जिन्हें भारत के सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। लता मंगेशकर की पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है । लता मंगेशकर का करियर 1942 में शुरू हुआ था और आज लगभग उन्हें 7 दशक पुरे हो चुके है। लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है।   लताजी का प्रारंभिक जीवन  लताजी का जन्म मध्य प्रदेश के

अगर तुम न होते सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक किशोर कुमार

हमे और जीने की चाहत न होती अगर तुम न होते, हिंदी फिल्म सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक किशोर कुमार ऐसी शख्सियत है, जिन्हे भुला पाना मुश्किल है बेहतरीन आवाज, सुरो की पकड़ और हर गीत में ऐसे डूबजाना मानो सुरो का सुनहरा इन्द्रधनुष । किशोर कुमार ने जिस गीत को गया उसमे जान डाल दी अपने नटखट और स्वर्णिम गायन से किशोर कुमार आज भी लोगो के दिलो पर राज करते है ।   किशोर कुमार (फोटो साभार : सोशल मीडिया )  किशोर कुमार ने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। उसी साल उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।  किशोर कुमार ने अपने 40 वर्षो के गायन सफर में संगीत प्रेमी हजारो भारतीय लोगो का दिल जीता वे बेधड़क गायकी और मस्मौला स्वभाव से हमेसा अपनी याद दिलाते रहेंगे नटखट शरारती बच्चे जैसे स्वाभाव रखने वाले किशोर से जब कोई मिलता बहुधा वो अजीब तरह मिलते थे 1985 में प्रतीश नंदी द्वारा लिए गए साक्षात्कार में किशोर कुमार ने बताया की ऐसा करना उनका पागलपन नहीं वह जानबूझ कर

सिनेमा की सौन्दर्य देवी कही जाने वाली मधुबाला हृदय रोग से पीड़ित थी।

तुम जो चाहते हो अगर वो हो जाए तो तुम्हे ख़ुशी मिलेगी वैसे ही अगर तुम खुश रहने लगो तो वह होने लगेगा जो तुम चाहते हो । कुछ ऐसी सोच देखने को मिलती है अगर मधुबाला के जीवन पन्नो को पलट कर देखे।  सिनेमा की 'सौन्दर्य देवी' कही जाने वाली मधुबाला बेहद खूबसूरत होने के साथ ही बहुत सुन्दर दिल भी रखती थी  । मधुबाला  हर परिस्थिति में खुद को ढालने का हुनर रखती थी । मधुबाला (फोटो साभार :सोशल मीडिया ) बालीवुड में मधुबाला प्रवेश 'बेबी मुमताज़' के नाम से हुआ। उनके अभिनय में एक आदर्श 'भारतीय नारी' को देखा जा सकता है। मात्र 36 वर्ष की अप्ल आयु में दुनिया से विदा लेने वाली अभिनेत्री मधुबाला के अभिनय काल को हिन्दी फ़िल्मों के समीक्षक 'स्वर्ण युग' कहते हैं । हृदय रोग से पीड़ित थी मधुबाला लेकिन उन्होंने अपने अभिनय में कभी अपनी बीमारी को आने नहीं दिया । अपने किरदार को बड़ी ही सुंदरता और नजाकत से करती थी उनके अभिनय, प्रतिभा, व्यक्तित्व और खूबसूरती को देख कर यही कहा जाता है कि वह भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे महान अभिनेत्री है।  मधुबाला का जन्म- एक भविष्यवक्ता ने मधु

पद्मश्री वंदना लूथरा : दो हजार रुपए से शुरू हुआ VLCC आज 121 शहरों में चला रहा है सेंटर

कहते है सपने से कुछ नहीं होता सफलता प्रयासों से हासिल होती है कुछ इसी तरह अपनी मेहनत और सफलता का डंका बजाने वाली वंदना लूथरा जिन्होंने मात्र दो हजार से की थी VLCC की शुरुआत आज न केवल एशिया की सबसे बड़ी वेलनेस कम्पनियों में शुमार हो गई है बल्कि भारत में वेलनेस सेक्टर के विस्तार में भी सराहनीय योगदान दिया है। वंदना लूथरा ( फोटो साभार: ट्विटर ) वंदना लूथरा ने अपनी बचत की छोटी सी रकम से वर्ष 1989 में दिल्ली में वीएलसीसी की शुरूआत की। तब यह भारत का पहला 'ट्रांस्फाॅर्मेशन सेंटर' था। 25 साल के काम-काज में वीएलसीसी के निरंतर प्रयासों से कंपनी के सेंटर 16 देशों के 121 शहरों में 300 से अधिक स्थानों पर मौजूद है। वीएलसीसी अपने स्तर से महिला सशक्तिकरण के लिए योगदान भी देती है। कंपनी का 'एंटरप्रेन्याॅरशिप फाॅर वुमन प्रोग्राम’ महिलाओं में उद्यम व प्रतिभा को बढ़ावा देता है और उन्हें पुरस्कृत भी करता है। आज देश में कंपनी के 10 में से सात विभागों की प्रमुख महिलाएं ही हैं। वीएलसीसी, एक ऐसी कंपनी जो लोगों को उनके शरीर और रुख के हिसाब से मेडीकेट करता है, संवारता है। वंदना लूथ

रेखा एक मिसाल है उन महिलाओं लिए जिन्हे सावंला रंग एक रोड़ा लगता है

 रेखा खूबसूरती की बेमिसाल तस्वीर है अगर आप सांवले रंग को जिंदगी का रोड़ा समझते है तो आपको रेखा से  बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। रेखा सौंदर्य और प्रेम का साकार रूप हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से खुद को अभिनय के क्षेत्र में शिखर तक पहुंचाया । रेखा (फोटो साभार : सोशल मीडिया ) रेखा को शुरुआती दिनों में सांवले रंग, भारी बदन और हिन्दी बोलने में सहज न होने की वजह से दर्शकों से और फिल्म बिरादरी से काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, पर अपनी हार को जीत में बदलने के लिए रेखा ने अपना जज्बा कायम रखा। राजकीय पुरस्कार पद्मश्री सम्मानित सदाबहार अभिनेत्री रेखा हिन्दी फिल्म जगत की शान हैं। उनके चेहरे की चमक आज भी अन्य अभिनेत्रियों की शान को फीका कर देती है। उनकी खूबसूरती और बेजोड़ अदाकारी आज भी बरकरार है। अभिनय और मेहनत के बल पर पाया मुकाम  चेन्नई में तमिल अभिनेता जेमिनी गणेशन और तमिल अभिनेत्री पुष्पावली के घर 11 अक्टूबर, 1954 को जन्मीं भानुरेखा   गणेशन को बचपन से ही अभिनय का शौक था, जिसे उन्होंने बड़ी कठिनाइयां झेलकर पूरा किया।  रेखा के लिए भी अभिनय की मंजिल इतनी आसान नहीं रही। वह पहल

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