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हेलो STORYSAGAR Readers ,

मेरा नाम राधा सिंह है storysagar.in मेरी पहली हिंदी वेबसाइट  है | आज के समय में वेबसाइट को हिंदी में बनाना और आगे बढ़ना बहुत ही मुश्किल है क्योकि Blogging बहुत तेजी से फ़ैल रहा है हर मिनट में ब्लॉग बन  रहे है और लोग बहुत मनलगाकर अपनी सोच और ज्ञान के अनुसार आर्टिकल  लिखते है, शायद एक  टॉपिक को लेकर उसके बारे लिखना उतना मुश्किल काम नहीं है पर अगर सच कहे तो आर्टिकल लिखना आसान नहीं है क्योकि जब ब्लॉगर एक आर्टिकल  लिखता है तो वह अपनी सोच से लिखता है और गलतियों न हो  ध्यान रखता  है पर हर व्यक्ति की सोच समझ अगल होती है और हो सकता है किसी विषय को ब्लॉगर ने जिस नजरिये से लिखा हो उसी नजरिये से रीडर न ले उस वक्त दिक्क्तों का सामना करना पड़ सकता है क्योकि अगर रीडर को आर्टिकल पसंद आएगा तो ही वह साइट पर दुबारा आना पसंद करेगा | इस Feild में बहुत कम्पटीशन है और अगर Website हिंदी हो तो अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, क्योकि हिंदी Websites पर केवल हिंदी रीडर्स ही आते है जिससे साइट की Visit कम होती है खैर वो बात अलग की हैं मैंने अपनी वेबसाइट को हिंदी में बनाने का निश्चय इसलिए किया की हिंदी भाषा के जरिये रीडर्स तक अच्छे आर्टिकल पंहुचा सकूँ | एक अच्छे Blogger की कोशिश यही होती है की रीडर्स तक  अच्छा और दिलचस्ब आर्टिकल पहुंचा सके जिससे रीडर कम से कम दुबारा वेबसाइट पर स्वयं आए |
                               
  मेरी वेबसाइट का आधार स्टोरी है मैंने उनलोगो के जीवन को अपनी वेबसाइट  के माध्यम से प्रस्तुत  करने की कोशिश  है जिनके नाम और काम से सभी जानते है लेकिन उनका वास्तिव जीवन कैसा था वास्तव में बहुत कम जानते होंगे अपनी इस वेबसाइट के जरिये रीडर्स तक अच्छे आर्टिकल पहुंचने की कोशिश की है मैंने हर आर्टिकल को अपने पुरे मन से और उम्मीद से लिखा है की वेबसाइट  पर आने वाले सभी रीडर्स को जरूर पसंद आए |

                                   मेरी वेबसाइट का Tagline : A Step Towards Life रखने का आशय यही है, कि स्टोरी के माध्यम से उन लोगो के जीवन को विस्तृत रूप से वर्णित सकू जिन्होंने किसी न किसी माध्यम से हमें आनंद दिया है  और साथ  ही और भी दिलचस्ब कहानियों का सग्रह भी प्रस्तुत किया है जिससे जिंदगी को प्रेरणा मिले  |


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STORIES BY STORYSAGAR

पद्मश्री वंदना लूथरा : दो हजार रुपए से शुरू हुआ VLCC आज 121 शहरों में चला रहा है सेंटर

कहते है सपने से कुछ नहीं होता सफलता प्रयासों से हासिल होती है कुछ इसी तरह अपनी मेहनत और सफलता का डंका बजाने वाली वंदना लूथरा जिन्होंने मात्र दो हजार से की थी VLCC की शुरुआत आज न केवल एशिया की सबसे बड़ी वेलनेस कम्पनियों में शुमार हो गई है बल्कि भारत में वेलनेस सेक्टर के विस्तार में भी सराहनीय योगदान दिया है। वंदना लूथरा ( फोटो साभार: ट्विटर ) वंदना लूथरा ने अपनी बचत की छोटी सी रकम से वर्ष 1989 में दिल्ली में वीएलसीसी की शुरूआत की। तब यह भारत का पहला 'ट्रांस्फाॅर्मेशन सेंटर' था। 25 साल के काम-काज में वीएलसीसी के निरंतर प्रयासों से कंपनी के सेंटर 16 देशों के 121 शहरों में 300 से अधिक स्थानों पर मौजूद है। वीएलसीसी अपने स्तर से महिला सशक्तिकरण के लिए योगदान भी देती है। कंपनी का 'एंटरप्रेन्याॅरशिप फाॅर वुमन प्रोग्राम’ महिलाओं में उद्यम व प्रतिभा को बढ़ावा देता है और उन्हें पुरस्कृत भी करता है। आज देश में कंपनी के 10 में से सात विभागों की प्रमुख महिलाएं ही हैं। वीएलसीसी, एक ऐसी कंपनी जो लोगों को उनके शरीर और रुख के हिसाब से मेडीकेट करता है, संवारता ह...

टाइगर ऑफ़ मद्रास ' विश्वनाथन आनंद '

'टाइगर ऑफ़ मद्रास' के नाम से प्रसिद्ध भारतीय शतरंज खिलाडी 'विश्वनाथन आनंद' जिन्होंने पांच बार विश्व शतरंज प्रतियोगिता में जीत हासिल की। 1988 में मात्र 18 साल की उम्र में ग्रांडमास्टर का ख़िताब जीता और भारत के सबसे माननीय पुरस्कार 'राजीव गांधी खेल रत्न' से सम्मानित किए गए।   विश्वनाथन आनंद फोटो साभार (सोशल मीडिया ) भारतीय शतरंज खिलाड़ी और पूर्व वर्ल्ड चेस चैंपियन विश्वनाथन आनंद 2000 से 2002 के बीच एफआईडीई वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप कराई। 2007 में वह विश्व चैंपियन बने और 2008 में भी अपना टाइटल रूस के व्लाडामीर क्राम्निक को हराकर बरकरार रखा। आनंद को पसंद करने वालों में उनके प्रतिद्वंदी गैरी कास्परोव और व्लाडामीर क्राम्निक भी शामिल हैं जिन्होंने उन्हें 2010 की वर्ल्ड चेस चैंम्पियनशीप की तैयारी में मदद की। आनंद को "टाइगर ऑफ मद्रास" भी कहा जाता है। आनंद अकेले ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें 7 नवंबर 2010 में  पीएम मनमोहन सिंह द्वारा यूएसए के प्रेसिडेंट बराक ओबामा के लिए दिए गए भोज में शामिल किया गया था। आनंद ने "माई बेस्ट गेम्स ऑफ़ चेस" नाम की पुस्तक...

रेखा एक मिसाल है उन महिलाओं लिए जिन्हे सावंला रंग एक रोड़ा लगता है

 रेखा खूबसूरती की बेमिसाल तस्वीर है अगर आप सांवले रंग को जिंदगी का रोड़ा समझते है तो आपको रेखा से  बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। रेखा सौंदर्य और प्रेम का साकार रूप हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से खुद को अभिनय के क्षेत्र में शिखर तक पहुंचाया । रेखा (फोटो साभार : सोशल मीडिया ) रेखा को शुरुआती दिनों में सांवले रंग, भारी बदन और हिन्दी बोलने में सहज न होने की वजह से दर्शकों से और फिल्म बिरादरी से काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, पर अपनी हार को जीत में बदलने के लिए रेखा ने अपना जज्बा कायम रखा। राजकीय पुरस्कार पद्मश्री सम्मानित सदाबहार अभिनेत्री रेखा हिन्दी फिल्म जगत की शान हैं। उनके चेहरे की चमक आज भी अन्य अभिनेत्रियों की शान को फीका कर देती है। उनकी खूबसूरती और बेजोड़ अदाकारी आज भी बरकरार है। अभिनय और मेहनत के बल पर पाया मुकाम  चेन्नई में तमिल अभिनेता जेमिनी गणेशन और तमिल अभिनेत्री पुष्पावली के घर 11 अक्टूबर, 1954 को जन्मीं भानुरेखा   गणेशन को बचपन से ही अभिनय का शौक था, जिसे उन्होंने बड़ी कठिनाइयां झेलकर पूरा किया।  रेखा के लिए भ...

बेहतरीन अदाकारा माला सिन्हा जिन्हे कभी भद्दी नाक वाली कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था

बॉलीवुड में माला सिन्हा उन गिनी चुनी चंद अभिनेत्रियों में शुमार की जाती हैं जिनमें खूबसूरती के साथ बेहतरीन अभिनय का भी संगम देखने को मिलता है।  खूबसूरत और बड़े-बड़े कजरारे नैनों वाली बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा की अभिनय प्रतिभा ने हर किसी को अपना दीवाना बना लिया। फोटो साभार: सोशल मीडिया एक बार माला किसी प्रोड्यूसर के पास पहुंची तो उन्होंने कहा, इस भद्दी नाक के साथ तुम हीरोइन बनने के बारे में सोच भी कैसे सकती हो। पहले अपना चेहरा शीशे में देख लो। माला इस बात को कभी भुला नहीं पाईं। इस उद्वेगाग्नि में उन्होंने दोगुनी मेहनत से काम करना शुरू कर दिया और साबित कर दिया कि फिल्मों में एक अभिनेत्री का रोल केवल उसकी सुंदरता से नहीं बल्कि अभियन और सादगी के बल पर मिलता है। माला सिन्हा जिन्होंने अपने हुनर के बल पर लोगो के दिलो पर राज किया सन् 1950 से 1960 के दशक की इस अभिनेत्री से कोई मिले तो बातचीत में वह आज भी उसे वही ताजगी का अहसास कराती हैं और मन मोह लेती हैं। आज की नई अभिनेत्रियां उनसे काफी कुछ सीखकर अभिनय के क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं।  माला सिन्हा का जन्म - माला का ज...

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अगर तुम न होते सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक किशोर कुमार

हमे और जीने की चाहत न होती अगर तुम न होते, हिंदी फिल्म सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक किशोर कुमार ऐसी शख्सियत है, जिन्हे भुला पाना मुश्किल है बेहतरीन आवाज, सुरो की पकड़ और हर गीत में ऐसे डूबजाना मानो सुरो का सुनहरा इन्द्रधनुष । किशोर कुमार ने जिस गीत को गया उसमे जान डाल दी अपने नटखट और स्वर्णिम गायन से किशोर कुमार आज भी लोगो के दिलो पर राज करते है ।   किशोर कुमार (फोटो साभार : सोशल मीडिया )  किशोर कुमार ने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। उसी साल उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।  किशोर कुमार ने अपने 40 वर्षो के गायन सफर में संगीत प्रेमी हजारो भारतीय लोगो का दिल जीता वे बेधड़क गायकी और मस्मौला स्वभाव से हमेसा अपनी याद दिलाते रहेंगे नटखट शरारती बच्चे जैसे स्वाभाव रखने वाले किशोर से जब कोई मिलता बहुधा वो अजीब तरह मिलते थे 1985 में प्रतीश नंदी द्वारा लिए गए साक्षात्कार में किश...

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