Skip to main content

सदी के महानायक प्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन

जब तक किसी कार्य को किया नहीं जाता वो असंभव लगता है उसी तरह 'सदी के महानायक' कहे जाने वाले बच्चन जी ने अपने अभिनय के हुनर से हर असंभव को संभव बनाया चाहे वो अभिनय हो गायकी हो या कौन बनेगा करोड़पति जैसे शो की होस्टिंग अपने सफल हुनर और कार्य से इन्हे भारत सरकार की तरफ से 1984 में पद्मश्री, 2001 में पद्मभूषण और 2015 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया ।

अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन (फोटो साभार :http://celebritiesgallery.in)
हिन्दी फिल्मों के सबसे बड़े सुपरस्टार अमिताभ बच्चन अपनी दमदार और बेहतरीन आवाज से जाने जाते है । 70 और 80 के दौर में फिल्‍मी सीन्‍स में अमिताभ बच्‍चन का ही आधिपत्‍य था। इस वजह से फ्रेंच डायरेक्‍टर फ़्राँस्वा त्रुफ़ो ने उन्‍हें 'वन मैन इंडस्‍ट्री' तक करार दिया था। अमिताभ बच्चन 'सदी के महानायक' कहे जाते हैं।
अमिताभ बच्चन ने अपने करियर के दौरान कई पुरस्‍कार जीते हैं जिसमें सर्वश्रेष्‍ठ अभिनेता के तौर पर 3 राष्‍ट्रीय फिल्‍म पुरस्‍कार भी शामिल है। इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्टिवल्‍स और कई अवार्ड समारोहों में उन्‍हें कई पुरस्‍कारों से सम्‍मानित किया गया है। वे 14 फिल्‍मफेयर पुरस्‍कार भी जीत चुके हैं। उन्‍हें फिल्‍मफेयर में सबसे ज्‍यादा 39 बार नामांकित किया जा चुका है। फ़िल्म उद्योग में प्रवेश करने से पहले, बच्चन ने ऑल इंडिया रेडियो में समाचार उद्घोषक, नामक पद हेतु नौकरी के लिए आवेदन किया जिसके लिए इन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अमिताभ बच्चन को सन 2001 में भारत सरकार ने कला क्षेत्र में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया था।

आरम्भिक जीवन 

आरंभ में बच्चन का नाम इंकलाब रखा गया था जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रयोग में किए गए प्रेरित वाक्यांश इंकलाब जिंदाबाद से लिया गया था। लेकिन बाद में इनका फिर से अमिताभ नाम रख दिया गया जिसका अर्थ है, "ऐसा प्रकाश जो कभी नहीं बुझेगा"।

 अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर 1942 में  इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध हिन्दी कवि डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन के घर हुआ । उनके पिता हरिवंश राय बच्चन 20वीं सदी के प्रसिद्ध कवियों में से एक थे उनकी माता तेजी बच्चन भी कविताओं में रूचि रखती थी । आरंभ में बच्चन का नाम इंकलाब रखा गया था जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रयोग में किए गए प्रेरित वाक्यांश इंकलाब जिंदाबाद से लिया गया था। लेकिन बाद में इनका फिर से अमिताभ नाम रख दिया गया जिसका अर्थ है, "ऐसा प्रकाश जो कभी नहीं बुझेगा"। अमिताभ, हरिवंश राय बच्चन के दो बेटों में सबसे बड़े हैं। उनके दूसरे बेटे का नाम अजिताभ है। इनकी माता की थिएटर में गहरी रुचि थी अमिताभ के करियर के चुनाव में इनकी माता का भी कुछ हिस्सा था। अमिताभ का विवाह अभिनेत्री जया भादुड़ी से हुआ है। श्वेता नंदा और अभिषेक बच्चन इनकी संतान हैं

फ़िल्मी दुनिया का सफर 

अपनी आयु के 20 के दशक में बच्चन ने कोलकता की एक शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी में किराया ब्रोकर की नौकरी की बाद में अभिनय में अपना कैरियर आजमाने के लिए मुंबई आ गए। बच्चन ने फ़िल्मों में अपने कैरियर की शुरूआत ख्वाज़ा अहमद अब्बास के निर्देशन में बनी फिल्म सात हिंदुस्तानी से की। फ़िल्म ने बहुत  सफ़लता तो प्राप्त नहीं हुई पर बच्चन ने अपनी पहली फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक का पुरूस्कार जीता। इसके बाद आनंद नामक फ़िल्म आई जिसमें उन्होंने उस समय के लोकप्रिय कलाकार राजेश खन्ना के साथ काम किया।

'डॉ॰ भास्कर बनर्जी' की भूमिका करने वाले बच्चन ने कैंसर के एक रोगी का उपचार किया जिसमें उनके पास जीवन के प्रति वेबकूफी और देश की वास्तविकता के प्रति उसके दृष्टिकोण के कारण उसे अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का 'फिल्मफेयर' पुरस्कार मिला। 

अमिताभ ने परवाना में एक मायूस प्रेमी की भूमिका निभाई इसके बाद उनकी कई फ़िल्में आई जो बॉक्स ऑफिस पर उतनी सफल नहीं हो पाई जिनमें रेशमा और शेरा भी शामिल थी और उन दिनों इन्होंने गुड्डी फ़िल्म में मेहमान कलाकार की भूमिका निभाई थी। इनके साथ इनकी पत्नी जया भादुड़ी के साथ धर्मेन्द्र भी थे। 

सफलता की ओर अग्रसर 

जब प्रकाश मेहरा ने इन्हें अपनी फ़िल्म जंजीर में इंस्पेक्टर विजय खन्ना की भूमिका के रूप में अवसर दिया तो यहीं से इनके कैरियर में प्रगति का नया मोड़ आया।जिसने अमिताभ बच्चन बॉलीवुड के एक्शन हीरो बन गए थे, बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाने वाले एक जबरदस्त अभिनेता के रूप में यह उनकी पहली फ़िल्म थी, जिसने उन्हें सर्वश्रेष्‍ठ पुरूष कलाकार फ़िल्मफेयर पुरस्कार के लिए मनोनीत करवाया। इसके बाद इनकी सफलता का सिलसिला सुरु हो गया इन्होने जया के साथ जंजीर और अभिमान जैसी हिट फिल्मो में काम किया बाद में हृषिकेश मुखर्जी के निदेर्शन तथा बीरेश चटर्जी द्वारा लिखित नमक हराम फ़िल्म में विक्रम की भूमिका मिली जिसमें दोस्ती के सार को प्रदर्शित किया गया था। राजेश खन्ना और रेखा के विपरीत इनकी सहायक भूमिका में इन्हें बेहद सराहा गया और इन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का फ़िल्मफेयर पुरस्कार दिया गया। 

अमिताभ बच्चन
शोले फिल्म का दृश्य (फोटो साभार :http://images-hdwallpapers.com)
फ़िल्म रोटी कपड़ा और मकान में सहायक कलाकार की भूमिका करने के बाद बच्चन ने बहुत सी फ़िल्मों में कई बार मेहमान कलाकार की भूमिका निभाई जैसे कुंवारा बाप और दोस्त 15 अगस्त, 1975 को फिल्म शोले रिलीज हुई जो बहुत हिट हुई और भारत में किसी भी समय की सबसे ज्यादा आय अर्जित करने वाली फिल्‍म बन गई है जिसने 2,36,45,00000रू० कमाए

अमिताभ बच्चन चूंकि महाकवि हरिवंश राय बच्चन के पुत्र हैं, इसलिए स्वाभाविक है, वह सिर्फ फिल्मी कलाकार ही नहीं, बल्कि अंदर से कवि हृदय भी हैं। इतना ही नहीं, वह लोगों के पसंदीदा गायक भी हैं। उन्होंने कई फिल्मों में गीतों को स्वर दिए हैं। इन्होंने प्रसिद्द टी.वी. शो "कौन बनेगा करोड़पति" में होस्ट की भूमिका निभाई थी जो की बहुत सफल रहा। अब तक बच्चन तक़रीबन 205 फिल्मो  में काम कर चुके है ।

अमिताभ बच्चन द्वारा लिखित 

मैंने कोई तकनीक का इस्तेमाल नही करता हु और न ही मैंने अभिनय का कोई विशेष प्रशिक्षण लिया मै जो भी कार्य करता हु वो पूरे मेहनत के साथ ख़ुशी से करता हु ।

 

हर सपने को अपनी सांसो में रखो हर मंजिल को अपनी बाहों में रखो हर जीत आपकी है बस अपने लक्ष्य को अपनी निगाहों में रखो ।

ये भी पढ़े- दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड लता मंगेशकर

यदि आपके पास है कोई दिलचस्प कहानी या फिर कोई ऐसी कहानी जिसे दूसरों तक पहुंचना चाहिए, तो आप हमें लिख भेजें storysagar@gmail.com पर। साथ ही सकारात्मक, दिलचस्प और प्रेरणात्मक कहानियों के लिए हमसे फेसबुक और ट्विटरपर भी जुड़ें...

Comments

STORIES BY STORYSAGAR

बेहतरीन अदाकारा माला सिन्हा जिन्हे कभी भद्दी नाक वाली कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था

बॉलीवुड में माला सिन्हा उन गिनी चुनी चंद अभिनेत्रियों में शुमार की जाती हैं जिनमें खूबसूरती के साथ बेहतरीन अभिनय का भी संगम देखने को मिलता है।  खूबसूरत और बड़े-बड़े कजरारे नैनों वाली बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा की अभिनय प्रतिभा ने हर किसी को अपना दीवाना बना लिया। फोटो साभार: सोशल मीडिया एक बार माला किसी प्रोड्यूसर के पास पहुंची तो उन्होंने कहा, इस भद्दी नाक के साथ तुम हीरोइन बनने के बारे में सोच भी कैसे सकती हो। पहले अपना चेहरा शीशे में देख लो। माला इस बात को कभी भुला नहीं पाईं। इस उद्वेगाग्नि में उन्होंने दोगुनी मेहनत से काम करना शुरू कर दिया और साबित कर दिया कि फिल्मों में एक अभिनेत्री का रोल केवल उसकी सुंदरता से नहीं बल्कि अभियन और सादगी के बल पर मिलता है। माला सिन्हा जिन्होंने अपने हुनर के बल पर लोगो के दिलो पर राज किया सन् 1950 से 1960 के दशक की इस अभिनेत्री से कोई मिले तो बातचीत में वह आज भी उसे वही ताजगी का अहसास कराती हैं और मन मोह लेती हैं। आज की नई अभिनेत्रियां उनसे काफी कुछ सीखकर अभिनय के क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं।  माला सिन्हा का जन्म - माला का ज...

रेखा एक मिसाल है उन महिलाओं लिए जिन्हे सावंला रंग एक रोड़ा लगता है

 रेखा खूबसूरती की बेमिसाल तस्वीर है अगर आप सांवले रंग को जिंदगी का रोड़ा समझते है तो आपको रेखा से  बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। रेखा सौंदर्य और प्रेम का साकार रूप हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से खुद को अभिनय के क्षेत्र में शिखर तक पहुंचाया । रेखा (फोटो साभार : सोशल मीडिया ) रेखा को शुरुआती दिनों में सांवले रंग, भारी बदन और हिन्दी बोलने में सहज न होने की वजह से दर्शकों से और फिल्म बिरादरी से काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, पर अपनी हार को जीत में बदलने के लिए रेखा ने अपना जज्बा कायम रखा। राजकीय पुरस्कार पद्मश्री सम्मानित सदाबहार अभिनेत्री रेखा हिन्दी फिल्म जगत की शान हैं। उनके चेहरे की चमक आज भी अन्य अभिनेत्रियों की शान को फीका कर देती है। उनकी खूबसूरती और बेजोड़ अदाकारी आज भी बरकरार है। अभिनय और मेहनत के बल पर पाया मुकाम  चेन्नई में तमिल अभिनेता जेमिनी गणेशन और तमिल अभिनेत्री पुष्पावली के घर 11 अक्टूबर, 1954 को जन्मीं भानुरेखा   गणेशन को बचपन से ही अभिनय का शौक था, जिसे उन्होंने बड़ी कठिनाइयां झेलकर पूरा किया।  रेखा के लिए भ...

पद्मश्री वंदना लूथरा : दो हजार रुपए से शुरू हुआ VLCC आज 121 शहरों में चला रहा है सेंटर

कहते है सपने से कुछ नहीं होता सफलता प्रयासों से हासिल होती है कुछ इसी तरह अपनी मेहनत और सफलता का डंका बजाने वाली वंदना लूथरा जिन्होंने मात्र दो हजार से की थी VLCC की शुरुआत आज न केवल एशिया की सबसे बड़ी वेलनेस कम्पनियों में शुमार हो गई है बल्कि भारत में वेलनेस सेक्टर के विस्तार में भी सराहनीय योगदान दिया है। वंदना लूथरा ( फोटो साभार: ट्विटर ) वंदना लूथरा ने अपनी बचत की छोटी सी रकम से वर्ष 1989 में दिल्ली में वीएलसीसी की शुरूआत की। तब यह भारत का पहला 'ट्रांस्फाॅर्मेशन सेंटर' था। 25 साल के काम-काज में वीएलसीसी के निरंतर प्रयासों से कंपनी के सेंटर 16 देशों के 121 शहरों में 300 से अधिक स्थानों पर मौजूद है। वीएलसीसी अपने स्तर से महिला सशक्तिकरण के लिए योगदान भी देती है। कंपनी का 'एंटरप्रेन्याॅरशिप फाॅर वुमन प्रोग्राम’ महिलाओं में उद्यम व प्रतिभा को बढ़ावा देता है और उन्हें पुरस्कृत भी करता है। आज देश में कंपनी के 10 में से सात विभागों की प्रमुख महिलाएं ही हैं। वीएलसीसी, एक ऐसी कंपनी जो लोगों को उनके शरीर और रुख के हिसाब से मेडीकेट करता है, संवारता ह...

दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड लता मंगेशकर की जिंदगी पर एक नजर

30,000 से अधिक गीत गाने का रिकार्ड बनाने वाली सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित भारत की सबसे लोकप्रिय, बेहतरीन और सम्मानित लता मंगेशकर भारत की सबसे अनमोल गायिका हैं। उनकी आवाज की दीवानी पूरी दुनिया है। इन्होने तक़रीबन 1000 से ज्यादा हिंदी फिल्मो के लिये गाने गाए है और तक़रीबन 36 देशी स्थानिक भाषाओ में भी गायन किया ।  लता मंगेशकर (फोटो साभार : http://celebritiesgallery.in) भारत सरकार द्वारा भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च अवार्ड दादासाहेब फालके अवार्ड उन्हें 1989 में देकर सम्मानित किया गया था। एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी के बाद वह दूसरी गायिका है जिन्हें भारत के सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। लता मंगेशकर की पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है । लता मंगेशकर का करियर 1942 में शुरू हुआ था और आज लगभग उन्हें 7 दशक पुरे हो चुके है। लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है।   लताजी का प्रारंभिक जीवन  लताजी का ज...

Popular posts from this blog

अगर तुम न होते सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक किशोर कुमार

हमे और जीने की चाहत न होती अगर तुम न होते, हिंदी फिल्म सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक किशोर कुमार ऐसी शख्सियत है, जिन्हे भुला पाना मुश्किल है बेहतरीन आवाज, सुरो की पकड़ और हर गीत में ऐसे डूबजाना मानो सुरो का सुनहरा इन्द्रधनुष । किशोर कुमार ने जिस गीत को गया उसमे जान डाल दी अपने नटखट और स्वर्णिम गायन से किशोर कुमार आज भी लोगो के दिलो पर राज करते है ।   किशोर कुमार (फोटो साभार : सोशल मीडिया )  किशोर कुमार ने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। उसी साल उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।  किशोर कुमार ने अपने 40 वर्षो के गायन सफर में संगीत प्रेमी हजारो भारतीय लोगो का दिल जीता वे बेधड़क गायकी और मस्मौला स्वभाव से हमेसा अपनी याद दिलाते रहेंगे नटखट शरारती बच्चे जैसे स्वाभाव रखने वाले किशोर से जब कोई मिलता बहुधा वो अजीब तरह मिलते थे 1985 में प्रतीश नंदी द्वारा लिए गए साक्षात्कार में किश...

पद्मश्री वंदना लूथरा : दो हजार रुपए से शुरू हुआ VLCC आज 121 शहरों में चला रहा है सेंटर

कहते है सपने से कुछ नहीं होता सफलता प्रयासों से हासिल होती है कुछ इसी तरह अपनी मेहनत और सफलता का डंका बजाने वाली वंदना लूथरा जिन्होंने मात्र दो हजार से की थी VLCC की शुरुआत आज न केवल एशिया की सबसे बड़ी वेलनेस कम्पनियों में शुमार हो गई है बल्कि भारत में वेलनेस सेक्टर के विस्तार में भी सराहनीय योगदान दिया है। वंदना लूथरा ( फोटो साभार: ट्विटर ) वंदना लूथरा ने अपनी बचत की छोटी सी रकम से वर्ष 1989 में दिल्ली में वीएलसीसी की शुरूआत की। तब यह भारत का पहला 'ट्रांस्फाॅर्मेशन सेंटर' था। 25 साल के काम-काज में वीएलसीसी के निरंतर प्रयासों से कंपनी के सेंटर 16 देशों के 121 शहरों में 300 से अधिक स्थानों पर मौजूद है। वीएलसीसी अपने स्तर से महिला सशक्तिकरण के लिए योगदान भी देती है। कंपनी का 'एंटरप्रेन्याॅरशिप फाॅर वुमन प्रोग्राम’ महिलाओं में उद्यम व प्रतिभा को बढ़ावा देता है और उन्हें पुरस्कृत भी करता है। आज देश में कंपनी के 10 में से सात विभागों की प्रमुख महिलाएं ही हैं। वीएलसीसी, एक ऐसी कंपनी जो लोगों को उनके शरीर और रुख के हिसाब से मेडीकेट करता है, संवारता ह...