Skip to main content

शून्य से की थी शुरुआत अब प्रतिदिन 2 लाख कमाती है पेट्रिशिया नारायण

फिक्की की तरफ से बेस्ट वुमेन बिजनेसपर्सन का अवॉर्ड जीतने वाली आज की पीढ़ी को चुनौती देती प्रेरणादायक महिला जिन्होंने जीवन में अनेक उतार चढ़ाव आने के बावजूद कभी हार नहीं मानी 'आज की नारी सब पर भारी' का एक बेहतरीन उदाहरण है पेट्रिशिया नारायण ।

पेट्रिशिया नारायण
पेट्रिशिया नारायण (फोटो साभार: सोशल मीडिया)
जीवन के संघर्षो को पार कर खुद को शिखर तक पहुंचाने वाली पेट्रिशिया ने शून्य से की थी शुरुआत अब प्रतिदिन 2 लाख कमाती है आज सारी दुनिया के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गयी है।

 कौन है पेट्रिशिया ?

पेट्रिशिया की कहानी की शरुआत उनदिनों की है जब वो कॉलेज में पढ़ती थी चेन्नई की रहने वाली क्रिश्चियन परिवार में जन्मी पेट्रिशिया अपने माता-पिता के साथ रहती थी । उनके माता-पिता अच्छी नौकरियों पर थे पेट्रिशिया ने अभी अपना कॉलेज पूरा भी नहीं किया था उन्हें एक हिन्दू परिवार में जन्मे लड़के नारायण से प्रेम हो गया नारायण और पेट्रिशिया एक दूसरे को पसंद करते थे और इसी के चलते उन दोनों ने शादी का निर्णय ले लिया और कोर्ट में शादी कर ली कुछ समय तक पेट्रिशिया ने अपने शादी के बारे में किसी को नहीं बताया लेकिन नारायण के कहने पर पेट्रिशिया को अपने परिवार को सच बताना पड़ा पेट्रिशिया क्रिश्चियन और नारायण हिन्दू शादी का यह सच जानकर पेट्रिशिया के माता पिता के पैरो के नीचे से मानो जमीन ही खिसक गयी हो। धीरे धीरे शादी की खबर रिस्तेदारो तक पहुंच गयी आखिरकार बदनामी के डर से पेट्रिशिया के माता पिता ने उन दोनों की शादी को स्वीकृति दे दिया और उन्होंने पेट्रिशिया से अपने सारे सम्बन्ध तोड़ दिए ।

नशे की आदत के चलते नारायण ने अपनी खुद की जिंदगी के साथ साथ पेट्रिशिया का भी सुकून छीन लिया नारायण पेट्रिशिया से पैसे मांगता और न पाने पर पेट्रिशिया को सिगरेट से जला देता।

सबसे अलग होने के बाद पेट्रिशिया और नारायण एक किराए के घर में ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे लेकिन खुशहाली भरा जीवन कब अंधकार की गहराइयों में जाने लगा पता नहीं चला पेट्रिशिया ने नारायण के साथ जैसी जिंदगी बिताने के सपने देखे थे। वे सपने उस वक्त टूट गए जब नारायण को शराब और ड्रग्स की बुरी लत गयी और अपनी नशे की आदत के चलते नारायण ने अपनी खुद की जिंदगी के साथ साथ पेट्रिशिया का भी सुकून छीन लिया नारायण पेट्रिशिया से पैसे मांगता और न पाने पर पेट्रिशिया को सिगरेट से जला देता। इन सब बुरे हालातो के बीच पेट्रिशिया प्रेग्नेंट गयी। घर के हालत बहुत बुरे थे और समय बीतता गया पेट्रिशिया दो बच्चो की माँ बन गयी एक लड़का और एक छोटी लड़की। नारायण की आवारगी बढ़ती जा रही थी। यही वक्त था जब पेट्रिशिया ने हर मुसीबत का डट कर सामना करने का निश्चय कर लिया। उसने अपनी मां से बात की। हालांकि वो पेट्रिशिया से खुश नहीं थीं, लेकिन मां का दिल तो मां का दिल होता है। उन्होंने पेट्रिशिया के पिता से बातकर के उसके लिए एक क्वार्टर खाली कर दिया। पेट्रिशिया अपने बच्चों और नारायण के साथ वहां रहने लगी।

जब देखा सुनहरा सपना कुछ कर दिखाने का-

पेट्रिशिया को कुकिंग का बड़ा शौक था लेकिन कभी इसको बिजनेस के तौर पर शुरू करने का उसे ख्याल नहीं आया। वो अपनी माँ पापा पर बोझ नहीं बनना चाहती थी। उसने अपनी मां से बात की। और खूब सारे जैम, अचार, केक बना डाले एक ही दिन में। उनकी मां अपने ऑफिस में ये सब सामान लेकर गईं और वो सारे सामान कुछ घंटों में ही बिक गए। पेट्रिशिया और मेहनत करने लगी। और ऐसे ही एक दिन उसके पापा के एक दोस्त ने उसका बनाया केक खाया। वो मुरीद हो गए। पापा के वो दोस्त दिव्यांगों के लिए एक स्कूल चलाते थे। और वो उस वक्त सामान बेचने के लिए चलती फिरती दूकान बांट रहे थे।

अगले दिन पेट्रिशिया की दूकान से 6-7 हजार रुपए का सामान बिक गया। उस वक्त पेट्रिशिया बहुत खुश हुई और अपने काम को आगे बढ़ाने का निश्चय कर लिया ।

लेकिन इस दूकान को लेने की एक ही शर्त थी कि इसमें उन दिव्यांग लोगों में से किसी दो को काम दिया जाए। पेट्रिशिया ने ये तुरंत मान लिया। वो साल था 1998। वो मरीन बीच पर उस दूकान को लेकर गईं। वो बड़ी उत्साहित थीं लेकिन दिन भर में उनकी सिर्फ एक कॉफी ही बिकी थी। उस कॉफी के मिले थे उनको पचास पैसे। वो घर आकर खूब रोईं। तब उनकी मां ने समझाया कि तुमने अच्छी शुरुआत की है। तुमने 50 पैसे कमाए हैं। देखना कल से तुम्हारी दूकान अच्छी चलने लगेगी। और हुआ भी यही। अगले दिन पेट्रिशिया की दूकान से 6-7 हजार रुपए का सामान बिक गया। उस वक्त पेट्रिशिया बहुत खुश हुई और अपने काम को आगे बढ़ाने का निश्चय कर लिया ।

पचास पैसे की कमाई से दो लाख तक का सफर-

इस कमाई से पेट्रिशिया दोगुने उत्साह से काम पर लग गईं। उनकी मेहनत और उनके बनाए हुए का स्वाद देखकर उनको एक कैंटीन में केटरिंग का ऑफर आया। पेट्रिशिया सुबह वहां जातीं और शाम को बीच पर अपनी दूकान चलातीं। उनकी कमाई बढ़ रही थी, बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ने लगे थे। लेकिन नारायण की हालत और खराब होती जा रही थी। वो बस पैसे लेने आता, मारपीट करता और गायब हो जाता। ऐसे ही 2002 में वो गायब हुआ फिर उसकी मरने की खबर आई। पेट्रिशिया टूट रही थीं लेकिन वो काम करती रहीं।

 पेट्रिशिया नारायण
केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के हाथों पुरस्कार लेतीं पेट्रिशिया

पचास पैसे से शुरू हुए सफर को इस मुकाम तक देखकर पेट्रिशिया भावुक हो जाती हैं। वो कहती हैं कि पहले मैं रिक्शे पर जाती थी, फिर ऑटो रिक्शे पर और आज मेरी खुद की कारें हैं।

पेट्रिशिया एक सरकारी कैंटीन में खाना बनाने का ऑफर आया। वहां उनको 600 लोगों के लिए तीन टाइम खाना बनाना था। दो लोगों के साथ शुरू हुई पेट्रिशिया की टीम में अब सौ से ऊपर लोग काम कर रहे थे। इस नए काम से उनकी कमाई हजारों रुपए हो गई। लेकिन एक और काली सुबह को पेट्रिशिया की बेटी और उसका दामाद एक एक्सीडेंट में मारे गए। इस हादसे ने पेट्रिशिया को पूरी तरह तोड़ दिया।
पेट्रिशिया ने अपनी बेटी की याद में एक रेस्टोरेंट खोला और उसका नाम अपनी बेटी के नाम पर रखा, 'संदीपा'। संदीपा को वो अपने बेटे के साथ मिलकर चलाती हैं।
आज उनकी कमाई दो लाख रुपए हर दिन है। पेट्रिशिया की कहानी उन तमाम महिलाओ और पीढ़ी को प्रेरणा देती है की अगर इरादे पक्के और खुद पर भरोशा हो तो हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है

वक़्त अच्छा ज़रूर आता है,मगर वक़्त पर ही आता है |

ये भी पढ़े - बेहतरीन अदाकारा माला सिन्हा जिन्हे कभी भद्दी नाक वाली कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था


यदि आपके पास है कोई दिलचस्प कहानी या फिर कोई ऐसी कहानी जिसे दूसरों तक पहुंचना चाहिए, तो आप हमें लिख भेजें storysagar@gmail.com पर। साथ ही सकारात्मक, दिलचस्प और प्रेरणात्मक कहानियों के लिए हमसे फेसबुक और ट्विटरपर भी जुड़ें...


Comments

STORIES BY STORYSAGAR

बेहतरीन अदाकारा माला सिन्हा जिन्हे कभी भद्दी नाक वाली कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था

बॉलीवुड में माला सिन्हा उन गिनी चुनी चंद अभिनेत्रियों में शुमार की जाती हैं जिनमें खूबसूरती के साथ बेहतरीन अभिनय का भी संगम देखने को मिलता है।  खूबसूरत और बड़े-बड़े कजरारे नैनों वाली बॉलीवुड अभिनेत्री माला सिन्हा की अभिनय प्रतिभा ने हर किसी को अपना दीवाना बना लिया। फोटो साभार: सोशल मीडिया एक बार माला किसी प्रोड्यूसर के पास पहुंची तो उन्होंने कहा, इस भद्दी नाक के साथ तुम हीरोइन बनने के बारे में सोच भी कैसे सकती हो। पहले अपना चेहरा शीशे में देख लो। माला इस बात को कभी भुला नहीं पाईं। इस उद्वेगाग्नि में उन्होंने दोगुनी मेहनत से काम करना शुरू कर दिया और साबित कर दिया कि फिल्मों में एक अभिनेत्री का रोल केवल उसकी सुंदरता से नहीं बल्कि अभियन और सादगी के बल पर मिलता है। माला सिन्हा जिन्होंने अपने हुनर के बल पर लोगो के दिलो पर राज किया सन् 1950 से 1960 के दशक की इस अभिनेत्री से कोई मिले तो बातचीत में वह आज भी उसे वही ताजगी का अहसास कराती हैं और मन मोह लेती हैं। आज की नई अभिनेत्रियां उनसे काफी कुछ सीखकर अभिनय के क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं।  माला सिन्हा का जन्म - माला का ज...

रेखा एक मिसाल है उन महिलाओं लिए जिन्हे सावंला रंग एक रोड़ा लगता है

 रेखा खूबसूरती की बेमिसाल तस्वीर है अगर आप सांवले रंग को जिंदगी का रोड़ा समझते है तो आपको रेखा से  बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। रेखा सौंदर्य और प्रेम का साकार रूप हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से खुद को अभिनय के क्षेत्र में शिखर तक पहुंचाया । रेखा (फोटो साभार : सोशल मीडिया ) रेखा को शुरुआती दिनों में सांवले रंग, भारी बदन और हिन्दी बोलने में सहज न होने की वजह से दर्शकों से और फिल्म बिरादरी से काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, पर अपनी हार को जीत में बदलने के लिए रेखा ने अपना जज्बा कायम रखा। राजकीय पुरस्कार पद्मश्री सम्मानित सदाबहार अभिनेत्री रेखा हिन्दी फिल्म जगत की शान हैं। उनके चेहरे की चमक आज भी अन्य अभिनेत्रियों की शान को फीका कर देती है। उनकी खूबसूरती और बेजोड़ अदाकारी आज भी बरकरार है। अभिनय और मेहनत के बल पर पाया मुकाम  चेन्नई में तमिल अभिनेता जेमिनी गणेशन और तमिल अभिनेत्री पुष्पावली के घर 11 अक्टूबर, 1954 को जन्मीं भानुरेखा   गणेशन को बचपन से ही अभिनय का शौक था, जिसे उन्होंने बड़ी कठिनाइयां झेलकर पूरा किया।  रेखा के लिए भ...

पद्मश्री वंदना लूथरा : दो हजार रुपए से शुरू हुआ VLCC आज 121 शहरों में चला रहा है सेंटर

कहते है सपने से कुछ नहीं होता सफलता प्रयासों से हासिल होती है कुछ इसी तरह अपनी मेहनत और सफलता का डंका बजाने वाली वंदना लूथरा जिन्होंने मात्र दो हजार से की थी VLCC की शुरुआत आज न केवल एशिया की सबसे बड़ी वेलनेस कम्पनियों में शुमार हो गई है बल्कि भारत में वेलनेस सेक्टर के विस्तार में भी सराहनीय योगदान दिया है। वंदना लूथरा ( फोटो साभार: ट्विटर ) वंदना लूथरा ने अपनी बचत की छोटी सी रकम से वर्ष 1989 में दिल्ली में वीएलसीसी की शुरूआत की। तब यह भारत का पहला 'ट्रांस्फाॅर्मेशन सेंटर' था। 25 साल के काम-काज में वीएलसीसी के निरंतर प्रयासों से कंपनी के सेंटर 16 देशों के 121 शहरों में 300 से अधिक स्थानों पर मौजूद है। वीएलसीसी अपने स्तर से महिला सशक्तिकरण के लिए योगदान भी देती है। कंपनी का 'एंटरप्रेन्याॅरशिप फाॅर वुमन प्रोग्राम’ महिलाओं में उद्यम व प्रतिभा को बढ़ावा देता है और उन्हें पुरस्कृत भी करता है। आज देश में कंपनी के 10 में से सात विभागों की प्रमुख महिलाएं ही हैं। वीएलसीसी, एक ऐसी कंपनी जो लोगों को उनके शरीर और रुख के हिसाब से मेडीकेट करता है, संवारता ह...

दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड लता मंगेशकर की जिंदगी पर एक नजर

30,000 से अधिक गीत गाने का रिकार्ड बनाने वाली सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित भारत की सबसे लोकप्रिय, बेहतरीन और सम्मानित लता मंगेशकर भारत की सबसे अनमोल गायिका हैं। उनकी आवाज की दीवानी पूरी दुनिया है। इन्होने तक़रीबन 1000 से ज्यादा हिंदी फिल्मो के लिये गाने गाए है और तक़रीबन 36 देशी स्थानिक भाषाओ में भी गायन किया ।  लता मंगेशकर (फोटो साभार : http://celebritiesgallery.in) भारत सरकार द्वारा भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च अवार्ड दादासाहेब फालके अवार्ड उन्हें 1989 में देकर सम्मानित किया गया था। एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी के बाद वह दूसरी गायिका है जिन्हें भारत के सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। लता मंगेशकर की पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है । लता मंगेशकर का करियर 1942 में शुरू हुआ था और आज लगभग उन्हें 7 दशक पुरे हो चुके है। लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है।   लताजी का प्रारंभिक जीवन  लताजी का ज...

Popular posts from this blog

अगर तुम न होते सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक किशोर कुमार

हमे और जीने की चाहत न होती अगर तुम न होते, हिंदी फिल्म सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक किशोर कुमार ऐसी शख्सियत है, जिन्हे भुला पाना मुश्किल है बेहतरीन आवाज, सुरो की पकड़ और हर गीत में ऐसे डूबजाना मानो सुरो का सुनहरा इन्द्रधनुष । किशोर कुमार ने जिस गीत को गया उसमे जान डाल दी अपने नटखट और स्वर्णिम गायन से किशोर कुमार आज भी लोगो के दिलो पर राज करते है ।   किशोर कुमार (फोटो साभार : सोशल मीडिया )  किशोर कुमार ने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। उसी साल उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।  किशोर कुमार ने अपने 40 वर्षो के गायन सफर में संगीत प्रेमी हजारो भारतीय लोगो का दिल जीता वे बेधड़क गायकी और मस्मौला स्वभाव से हमेसा अपनी याद दिलाते रहेंगे नटखट शरारती बच्चे जैसे स्वाभाव रखने वाले किशोर से जब कोई मिलता बहुधा वो अजीब तरह मिलते थे 1985 में प्रतीश नंदी द्वारा लिए गए साक्षात्कार में किश...

पद्मश्री वंदना लूथरा : दो हजार रुपए से शुरू हुआ VLCC आज 121 शहरों में चला रहा है सेंटर

कहते है सपने से कुछ नहीं होता सफलता प्रयासों से हासिल होती है कुछ इसी तरह अपनी मेहनत और सफलता का डंका बजाने वाली वंदना लूथरा जिन्होंने मात्र दो हजार से की थी VLCC की शुरुआत आज न केवल एशिया की सबसे बड़ी वेलनेस कम्पनियों में शुमार हो गई है बल्कि भारत में वेलनेस सेक्टर के विस्तार में भी सराहनीय योगदान दिया है। वंदना लूथरा ( फोटो साभार: ट्विटर ) वंदना लूथरा ने अपनी बचत की छोटी सी रकम से वर्ष 1989 में दिल्ली में वीएलसीसी की शुरूआत की। तब यह भारत का पहला 'ट्रांस्फाॅर्मेशन सेंटर' था। 25 साल के काम-काज में वीएलसीसी के निरंतर प्रयासों से कंपनी के सेंटर 16 देशों के 121 शहरों में 300 से अधिक स्थानों पर मौजूद है। वीएलसीसी अपने स्तर से महिला सशक्तिकरण के लिए योगदान भी देती है। कंपनी का 'एंटरप्रेन्याॅरशिप फाॅर वुमन प्रोग्राम’ महिलाओं में उद्यम व प्रतिभा को बढ़ावा देता है और उन्हें पुरस्कृत भी करता है। आज देश में कंपनी के 10 में से सात विभागों की प्रमुख महिलाएं ही हैं। वीएलसीसी, एक ऐसी कंपनी जो लोगों को उनके शरीर और रुख के हिसाब से मेडीकेट करता है, संवारता ह...