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टाइगर ऑफ़ मद्रास ' विश्वनाथन आनंद '

'टाइगर ऑफ़ मद्रास' के नाम से प्रसिद्ध भारतीय शतरंज खिलाडी 'विश्वनाथन आनंद' जिन्होंने पांच बार विश्व शतरंज प्रतियोगिता में जीत हासिल की। 1988 में मात्र 18 साल की उम्र में ग्रांडमास्टर का ख़िताब जीता और भारत के सबसे माननीय पुरस्कार 'राजीव गांधी खेल रत्न' से सम्मानित किए गए।  

विश्वनाथन आनंद
विश्वनाथन आनंद फोटो साभार (सोशल मीडिया )
भारतीय शतरंज खिलाड़ी और पूर्व वर्ल्ड चेस चैंपियन विश्वनाथन आनंद 2000 से 2002 के बीच एफआईडीई वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप कराई। 2007 में वह विश्व चैंपियन बने और 2008 में भी अपना टाइटल रूस के व्लाडामीर क्राम्निक को हराकर बरकरार रखा।

आनंद को पसंद करने वालों में उनके प्रतिद्वंदी गैरी कास्परोव और व्लाडामीर क्राम्निक भी शामिल हैं जिन्होंने उन्हें 2010 की वर्ल्ड चेस चैंम्पियनशीप की तैयारी में मदद की। आनंद को "टाइगर ऑफ मद्रास" भी कहा जाता है। आनंद अकेले ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें 7 नवंबर 2010 में  पीएम मनमोहन सिंह द्वारा यूएसए के प्रेसिडेंट बराक ओबामा के लिए दिए गए भोज में शामिल किया गया था।

आनंद ने "माई बेस्ट गेम्स ऑफ़ चेस" नाम की पुस्तक लिखी है जिसमे उन्होंने अपनी चेस की यात्रा को वर्णित किया है। 1988 में उनकी बुक को 'ब्रिटिश चेस फेडरेशन' की ओर से "बेस्ट बुक ऑफ़ द ईयर" का अवार्ड मिला। आंनद बेस्ट चेस प्लेयर बॉबी फिस्चेर को अपना आदर्श मानते है। आनंद तमिल और इंग्लिश के अलावां फ्रेंच, जर्मन और स्पेनिश भाषा का भी अच्छा ज्ञान रखते है। आनंद को "लाइटनिंग किड " भी कहा जाता है क्योकि वे बहुत तीव्र गति से खेलते है

प्रारंभिक जीवन और परिवार -

विश्वनाथन आनंद का जन्म तमिलनाडु के मयिलादुथुरई में 11 दिसंबर 1969 को हुआ। थोड़े समय के बाद ही, उनका परिवार मद्रास (वर्तमान चेन्नई) जाकर बस गया। उनके पिता कृष्णामूर्थि विश्वनाथन, दक्षिण रेलवे के रिटार्यड जनरल मैनेजर, की पढ़ाई जमालपुर (बिहार) में हुई। उनकी माता सुशीला को शतरंज, फिल्मों, क्लबों में रूचि थी। वे सोशल वर्क्स में भी रूचि रखती थीं। आनंद अपने परिवार में सबसे छोटे हैं। वह अपनी बहन से 11 साल और भाई से 13 साल छोटे हैं। उनके बडे भाई शिवकुमार क्रोम्पटन ग्रीव्स में मैनेजर हैं और उनकी बहन अनुराधा यूएस की युनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में प्रोफेसर हैं। आनंद ने छह साल की उम्र से अपनी मां से शतरंज खेलना सीखा। साथ ही परिवार के निकट पहचानवाली दीपा रामाकृषणन ने भी आनंद को शतरंज खेलना सिखाया। आनंद की पढ़ाई चैन्नई के डॉन बॉस्को मैट्रीकुलेशन हायर सेकंडरी स्कूल से हुई है। वाणिज्य में स्नातक विश्वनाथन आनंद पढ़ने के अलावा तैराकी और संगीत के बहुत शौक़ीन हैं। उनकी स्नातक की डिग्री लोयोला कॉलेज चैन्नई की है।

फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप-

विश्वनाथन आनंद इतिहास के उन 9 खिलाडियों में से एक है जिन्होंने FIDE विश्व शतरंज चैंपियनशिप की सूचि में उसके पुराने रिकॉर्ड को तोडा और पुरे 21 महीनो तक विश्व के नंबर 1 खिलाडी बने रहे, और वे अपने जीवन में 6 दफा इस स्थान पर रहे।

जब विश्व चैंपियनशिप का बटवारा किया जा रहा था, उस समय उन्होंने 2000 से 2002 तक फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप का ख़िताब अपने नाम रखा। वह सन 2007 में निर्विवाद विश्व विजेता बने और सन 2008 में उन्होंने अपना ख़िताब व्लाडामीर क्राम्निक से बचाया, तब उन्होंने उसके बाद सफलता से 2010 में अपने विश्व विजेता प्रतियोगिता का ख़िताब हासिल किया जो की वेसेलिन तपोलाव के खिलाफ था और उन्होंने विश्व शतरंज प्रतियोगिता फिर से 2012 में जीता जो बोरिस गल्फ के खिलाफ था। विश्व शतरंज प्रतियोगिता 2013 में वे मागनुस कार्सलेन के खिलाफ पराजित हुए। विश्वनाथन आनंद इतिहास के उन 9 खिलाडियों में से एक है जिन्होंने FIDE विश्व शतरंज चैंपियनशिप की सूचि में उसके पुराने रिकॉर्ड को तोडा और पुरे 21 महीनो तक विश्व के नंबर 1 खिलाडी बने रहे, और वे अपने जीवन में 6 दफा इस स्थान पर रहे।

संघर्ष ही बड़ी सफलता का इतिहास रचता है-

आनंद वर्ष 2000 में भारत के ही नहीं एशिया के प्रथम शतरंज विश्व-चैंपियन बने । यदि विश्व के प्रथम विजेता विल्हम स्टीन्ज से गणना करें जो 1886 में विजेता बने थे तो आनन्द 15वें विश्व-चैंपियन बने ।

24 दिसम्बर, 2000 को उन्होंने तेहरान में हुई चैंपियनशिप में, रूस में जन्मे अपने स्पेनिश प्रतिद्वन्दी अलेक्सई शिरोव को छह खेलों के चौथे मुकाबले में हरा कर विश्व-चैंपियन का खिताब हासिल किया । इस मुकाबले में विजय प्राप्त करने पर आनंद को 6,60,000 डॉलर की राशि पुरस्कार स्वरूप प्राप्त हुई । वर्ष 2002 में विश्वनाथन आनंद ने विश्व स्तर की चौथी सफलता प्राप्त कर एक बार फिर नया इतिहास रच डाला । फ्रांस में होने वाले कोर्सिका ओपन चेस टूर्नामेंट के पहले खेल में हारने के बाद आनंद ने अन्तिम छठे खेल में रूस के अनोतोली कारपोस को हरा कर विजय प्राप्त की । वर्ष 2002 में ही आनंद ने मई में प्राग में यूरोटेल टाइटल जीता, जुलाई में ‘चेस क्लासिक’ का मैन्ज टाइटल जीता । फिर अक्टूबर में हैदराबाद में होने वाले विश्व कप शतरंज में पुन: अपनी प्रभुता साबित की और फिर विश्व कप विजेता साबित हुए । उन्हें पुरस्कार स्वरूप 46,000 डालर की राशि प्राप्त हुई ।

सम्मान और पुरस्कार- 

 विश्वनाथन आनंद
शतरंज ऑस्कर विश्वनाथन आनंद
विश्वनाथन आनंद 1988 में भारत के पहिले ग्रेंडमास्टर बने। 1991-92 में राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार मिलने वाले वे पहले खिलाडी बने, ये भारत का खेल की दुनिया में सबसे बड़ा पुरस्कार था।  2007 में, उन्हें भारत का दूसरा सबसे बड़ा सिविलियन पुरस्कार पद्म भूषण(2000) से सम्मानित किया गया और वे पहले खिलाडी थे जिन्होंने इस पुरस्कार को प्राप्त किया। 2000 में फीडे विश्व शतरंज चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय बने । आनंद ने शतरंज ऑस्कर 6 बार जीता। 2007 और 2008 में विश्व शतरंज चैंपियन रहे। विश्वनाथन आनंद 5 बार विश्व शतरंज चैंपियन बन चुके हैं। वर्ष 2000 में पहली बार विश्व चैंपियन बने विश्वनाथन आनंद, वर्ष 2007 से 2012 तक लगातार चार बार विश्व चैंपियन हैं।1982 में इन्होने जूनियर चैंपियनशिप की राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीती, आनंद को भारत सरकार ने खेल क्षेत्र में अर्जुन अवॉर्ड (1985) तथा पद्म श्री (1987) से सम्मानित किया था।

जिस व्यक्ति में सफलता के लिए आशा और आत्मविश्वास है वही व्यक्ति उच्च शिखर पर पहुंचते है।


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